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चाणक्य नीति : ये 5 चीजें हैं जिनके पास बुरा समय उनका कुछ नहीं बिगाङ पाता

आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी.

Updated on: 09 Jun 2021, 10:00 AM

नई दिल्ली:

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.

सुख-दुख जीवन के साथी हैं. हर किसी के जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं. लेकिन कई लोग इस बात को जानते हुए भी इन परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार नहीं करते हैं. ऐसे में जब उनपर दुख यानी कष्ट मिलते हैं तो वह दुखी हो जाते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में बताया है कि किन गुण वाले लोगों का बुरा समय भी कुछ नहीं बिगाड़ पाता है. ये लोग दुख की स्थिति से सामान्य स्थिति तक अपने गुणों के कारण पहुंचते हैं. जानिए दुख के दिनों का सामना करने के लिए व्यक्ति में कौन-से गुणों का होना जरूरी है :

आत्मविश्वासी- जब बुरा समय आता है तो लोग साथ छोड़ देते हैं. आत्मविश्वास से व्यक्ति मु्श्किल समय को भी पार कर सकता है. आत्मविश्वासी व्यक्ति का बुरा से बुरा समय भी कुछ नहीं बिगाड़ पाता है.

 धैर्य- चाणक्य कहते हैं कि अपने इस गुण के कारण व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल दिनों को आसानी से पार कर लेता है. जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. इसलिए व्यक्ति को हमेशा वर्तमान बेहतर बनाने की कोशिश करते रहने चाहिए.

फैसला लेने की क्षमता- नीति शास्त्र के अनुसार, विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति को सही फैसला लेना आना चाहिए. जल्दबाजी या आवेश में आकर लिए फैसले कई बार आपको नुकसान पहुंचाते हैं.

ज्ञान- चाणक्य कहते हैं कि बुरे दौर में ज्ञान यानी विद्या लड़ने की ताकत होती है. ज्ञानी व्यक्ति निश्चित तौर पर एक दिन सफलता पाते हैं.

धन- आचार्य चाणक्य का मानना है कि दुख के समय में धन भी व्यक्ति की रक्षा करता है. इसलिए पैसे संचय यानी बचत करने की आदत सबकी होनी चाहिए.. जिस व्यक्ति में बचत की आदत होती है वह दुख के समय को आसानी से पार कर लेता है.

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