Independence Day 2021: फांसी के दिन रोशन सिंह ने पहरेदार से कहा... चलो, वह हैरत से देखने लगा यह कोई आदमी है या देवता!
ठाकुर रोशन सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां का संबंध पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शाहजहांगुर से है. रोशन सिंह आयु के लिहाज से सबसे बडे़, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे.
highlights
- रोशन सिंह को फांसी की सजा उस मामले में हुई जिसमें वे नहीं थे शामिल
- इलाहाबाद के मलाका जेल में हुई थी रोशन सिंह को फांसी
- काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल नहीं थे रोशन सिंह
नई दिल्ली:
Independence Day 2021 : ब्रिटिश सरकार अपने को कानून का पालन करने और मानवाधिकारों के रक्षक के रूप में पेश करती रही है. लेकिन गुलाम भारत में ब्रिटिश सरकार किस तरह से 'कानून का राज' चलाती थी यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिली सजा से जाना-समझा जा सकता है. अंग्रेजी हुकूमत में कानून के पालन का नाटक और अदालतों की प्रक्रिया किस तरह से संचालित होती थी यह प्रखर क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह के मामले से जाना जा सकता है. रोशन सिंह को फांसी की सजा उस मामले में हुई जिस कांड में वे शामिल ही नहीं हुए थे. स्वतंत्रता संग्राम में शामिल अधिकांश क्रांतिकारियों का व्यक्तित्व बहुत शानदार रहा है लेकिन रोशन सिंह सबसे निराले थे.
रोशन सिंह का जन्म शाहजहांपुर के नबादा गांव में 22 जनवरी 1892 को हुआ था. पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह और मां का नाम कौशल्या देवी था. परिवार आर्य समाज से प्रभावित था. रोशन सिंह पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. ठाकुर रोशन सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां का संबंध पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शाहजहांगुर से है. रोशन सिंह आयु के लिहाज से सबसे बडे़, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे. असहयोग आन्दोलन में शाहजहांपुर और बरेली जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आपने अद्भुत योगदान दिया था. यही नहीं, बरेली में हुए गोली-काण्ड में एक पुलिस वाले की रायफल छीनकर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी थी जिसके कारण हमलावर पुलिस को उल्टे पांव भागना पडा. मुकदमा चला और रोशन सिंह को सेण्ट्रल जेल बरेली में दो साल सश्रम कैद की सजा काटनी पड़ी थी.
बरेली जेल में रामदुलारे त्रिवेदी से मुलाकात
बरेली सेण्ट्रल जेल में रोशन सिंह की भेंट कानपुर निवासी रामदुलारे त्रिवेदी से हुई जो उन दिनों पीलीभीत में शुरू किये गये असहयोग आन्दोलन के फलस्वरूप 6 महीने की सजा़ भुगतने बरेली सेण्ट्रल जेल में रखे गये थे. गाधी जी द्वारा सन 1922 में हुए चौरी चौरा काण्ड के विरोध स्वरूप असहयोग आन्दोलन वापस ले लिये जाने पर पूरे हिन्दुस्तान में जो प्रतिक्रिया हुई उसके कारण रोशन सिंह ने भी राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, रामदुलारे त्रिवेदी व सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य आदि के साथ शाहजहांपुर शहर के आर्य समाज पहुंच कर राम प्रसाद बिस्मिल से विचार-विमर्श किया. इस बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कोई बहुत बडी़ क्रान्तिकारी पार्टी बनाने की रणनीति तय हुई. इस तरह असहयोग आन्दोलन के दौरान बरेली में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर वापस आने के बाद वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गये.
क्रिस्मस के दिन बमरौली डकैती
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन क्रान्तिकारी धारा वाले उत्साही नवयुवकों का संगठन था. लेकिन संगठन के पास पैसे की कमी थी. इस कमी को दूर करने के लिये आयरलैण्ड के क्रान्तिकारियों का रास्ता अपनाया गया और वह रास्ता था डकैती का. इस कार्य को पार्टी की ओर से एक्शन नाम दिया गया. एक्शन के नाम पर पहली डकैती पीलीभीत जिले के एक गांव बमरौली में 25 दिसम्बर 1924 को क्रिस्मस के दिन एक खण्डसारी निर्माता बल्देव प्रसाद के यहां डाली गयी. इस पहली डकैती में 4 हजार रुपये और कुछ सोने-चांदी के जे़वरात क्रान्तिकारियों के हाथ लगे. परन्तु मोहनलाल पहलवान नाम का एक आदमी, जिसने डकैतों को ललकारा था, रोशन सिंह की रायफल से निकली एक ही गोली में ढेर हो गया. सिर्फ मोहनलाल की मौत ही रोशन सिंह की फांसी की सजा का कारण बनी.
काकोरी काण्ड का मुकदमा और रोशन सिंह को फांसी
9 अगस्त 1925 को काकोरी स्टेशन के पास जो सरकारी खजा़ना लूटा गया था उसमें ठाकुर रोशन सिंह शामिल नहीं थे. चूंकि रोशन सिंह बमरौली डकैती में शामिल थे ही और इनके खिलाफ सारे साक्ष्य भी मिल गये थे अत: पुलिस ने सारी शक्ति रोशन सिंह को फाँसी की सजा़ दिलवाने में ही लगा दी. 19 दिसंबर 1927 को रोशन सिंह को इलाहाबाद स्थित मलाका जेल में फांसी पर लटका दिया गया. फांसी से पहली रात रोशन सिंह कुछ घंटे सोये फिर देर रात से ही ईश्वर-भजन करते रहे. प्रात:काल स्नान ध्यान किया कुछ देर गीता-पाठ में लगायी फिर पहरेदार से कहा-"चलो." वह हैरत से देखने लगा यह कोई आदमी है या देवता!
यह भी पढ़ें:Independence Day 2021: क्या है दिल्ली षडयंत्र केस, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से इसका क्या है नाता ?
इलाहाबाद में मलाका जेल (वर्तमान में स्वरूप रानी अस्पताल) के फाटक पर हज़ारों की संख्या में लोग रोशन सिंह के अन्तिम दर्शन करने व उनकी अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिये एकत्र हुए थे. जैसे ही उनका शव जेल कर्मचारी बाहर लाये वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने नारा लगाया - "रोशन सिंह! अमर रहें!!"
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hariyali Teej : इस दिन भगवान शिवजी और मां पार्वती का हुआ था पुनर्मिलन
-
इन राशियों में हाहाकार मचाएगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें अपनी राशि पर असर
-
Surya Grahan 2021: 148 साल बाद शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण का क्या होगा प्रभाव? जानिए शुभ फल के लिए क्या करें
-
चाणक्य नीति : ये 5 चीजें हैं जिनके पास बुरा समय उनका कुछ नहीं बिगाङ पाता