Sawan 2021: सावन का पहला सोमवार होता है बहुत खास, विशेष उपायों से करें महादेव को प्रसन्न

सावन के पहले सोमवार के दिन विधिवत पूजा करने से भगवान शिव के साथ साथ चन्द्र देव की भी कृपा प्राप्त होती है. व्यक्ति स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं से मुक्त हो जाता है और साथ ही, विवाह में आ रहीं अरचनें या दरिद्रता दोनों ही दूर हो जाती हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
26 Jul 2021, 11:45:32 AM (IST)

highlights

  • सावन का पहला सोमवार चन्द्र ग्रह का दिन होता है
  • महादेव के साथ चन्द्र देव का भी मिलता है आशीर्वाद 

नई दिल्ली:

यूं तो पूरे श्रावण मास को जप, तप, ध्यान और भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व होता है. क्योंकि सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के ईष्ट भगवान शिव हैं. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा करने से न केवल भगवान शिव की कृपा मिलती है बल्कि चंद्रदेव का आशीष भी प्राप्त होता है और व्यक्ति के जीवन में चन्द्र की दशा मजबूत बनती है. यही नहीं, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो या विवाह में आ रहीं मुश्किलें या जीवन में दरिद्रता छायी हो, सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से इन तमाम समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. बता दें कि, सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था. सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है. 

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सावन के सोमवार की पूजा 
सावन के सोमवार को सभी भक्त भगवान शिव की पूर्ण विधि विधान से पूजा करते हैं. सावन के सोमवार को शादी से जुड़ी परेशानियों को दूर करने और वैवाहिक जीवन के लिए बेहद खास माना जाता है. अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में दिक्कतें आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए. अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है.

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मुख्य पूजन विधि 
प्रातः काल या प्रदोष काल में स्नान करें. नंगे पैर एक लोटे में जल भर कर शिव मंदिर जाएं. मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें. भगवान शिव को साष्टांग प्रणाम करें. वहीं पर खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें. शिव जी के मंदिर में एक घी का दीपक जलाएं. दिन में केवल फलाहार करें. इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें. शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें. सायंकाल में शिव शंभू के मंत्रो का फिर जाप करें. अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें तब जाकर व्रत खोलें.

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